Friday 5 December, 2008

शनि न्यायकरी भी


सिधार्थ जोशी जी ने कहा की कुछ ऐसा लिखो की जो आम जनता को समझ में आए , सोचा शनि के बारे में लिखा जाए क्योंकि आम जनता उसी से भयभीत रहती है
सूर्य पुत्र शनि भारतीय ज्योतिष में मान्य नवगृह मंडल में उनका प्रमुख स्थान है यह सूर्य से छठा गृह है और आकार में दूसरा गृह है यह सूर्य से १४२.७ किलोमीटर तथा पृथ्वी से १२४.२४ किलोमीटर दूर है शनि सूर्य की २९.४६ वर्ष में परिकृमा करता है इसकी परिक्रमण अवधि १० घंटा ४० मी . तथा २१ उपगृह है
शनि की दैनिक गति ३ से ६ विकला , इसकी मध्यम गति ८ कला से १ विकला होती है एक राशि में ३० माह तक रहता है तथा १४० दिन वक्री रहता है वक्री से मार्गी होते समय ५ दिन स्तंभित रहता है कुम्भ राशि के २० डिग्री तक मूल त्रिकोन तक शेष अंश में स्वगृही होता है तुला के २० अंश में परमोच्य तथा मेष में २० अंश में परम नीच का होता है शनि के नैसर्गिक बुध ,शुक्र ,राहूमित्र तथा सूर्य,चंद्र ,मंगल शत्रु तथा गुरु सम होते है अंकशास्त्र के अनुसार ८ अंक का स्वामी तथा नीलम,फिरोजा , जामुनिया शनि के रत्ना है व्यवसाय में भूमि के गर्भ के पदार्थो पर अधिकार है जैसे प्रवज्या खनन तेल ,पत्थर न्यायालय भू गर्भ्शास्त्री ,जेल, विदेशनीति , स्नायुतंत्र ,लकवा ,मानसिक परेशानी, नपुंसकता , गठिया ,आदि शनि के कारक में शामिल है
पाशचात्य ज्योतिष में दुर्भाग्य को लाने वाला कहा गया है विलियम लिली के अनुसार शीतल रुक्ष ,नीचे की और दृष्टि,केश काले , कान लटकता है अलेंलियो के अनुसार उन्हें शांत , गंभीर और विचारी प्रवृति देता है वृधावस्था पर इसका अधिकार होता है जगत में सच्चे और झूठे का भेद समझाना इनका श्रेष्ठ गुण होता है
स्वतंत्र भारत की पत्रिका ( १५ अगस्त १९४७ , ००:०१ ,दिल्ली ) में भी शनि कारक है भाग्य (नवं ) एवं दशम भाव का भावेश है तथा लग्नेश की महादशा है दशम व् नवम भाव का भावेश है तथा वर्तमान में सिंह राशि का गोचर है पूर्व में नवम्बर ०६ से जनवरी ०७ तक वक्री सिंघस्था गोचर व् गुरु का अनुराधा नक्षत्र का गोचर था शनि और गुरु को न्याय से जोड़ा गया है , सिंह राशि जो की राज्यकीय (सरकार ) का घोतक है के ऊपर से शनि का गोचर न्यायपालिका के कठोर निर्णय का सूचक है
भारतीय इतिहास में किसी भी केंद्रीय मंत्री को न्यायालय द्वारा उम्रकैद (शिब्बू सरीन ) नवजोत सिंग सिद्धू , राज्य सरकारों को कड़ी फटकारें सर्वौच्च न्यालय के ऐसे उधाहरण है जो शनि की सूर्य की राशि से गोचर का सूचक है तथा अभी भी न्यालय द्वारा ऐसे कठोर निर्णय जो इतिहासिक होगे
काल पुरूष की दशम एवं एकादश भाव की राशि शनि की है जैसा की दशम कर्म एवं एकादश (आय) कर्म के अनुसार फल का भाव है येही शनि दर्शाते है की जिस अनुसार कर्म करोगे उसी कर्मानुसार फल मिलेगा
अत: आम जनता भयभीत न हो कर अच्छे कर्म करे शनि यह ही संदेश देना चाहते हैं

Thursday 13 November, 2008

मंथन



आज कल जिस तरह ज्योतिष का प्रचार प्रसार बढ़ रहा है उसी प्रकार उसका विरोध बढ़ रहा है यह एक चिंतनीय विषय है, मंथन की आवश्यकता है शायद हम भी दोषी है , आज कल जो चमकता ही वही बिकता है , जो ज्योतिषी बड़ी बड़ी माला पहन कर बड़ी बड़ी गाडियों में बैठ कर ,ऊँचा शुल्क ले कर ज्योतिष की समस्यों का समाधान करते है ,वह स्वयं की समस्यों से ग्रसित रहते है , अच्छा का कोई तो पैमाना होगा यह जातक को स्वम निर्णय करना होगा ,क्या विभिन्न चैनल पर आने वाले ज्योतिषी सही फलादेश करते है , यह निर्णय आप स्वम करे ,मरे विचार से ये सभी भ्रमित कर रहे है सभी का जनम अलग अलग समय ,दिन ,नक्षत्र में हुआ है , तथा फलादेश सभी के लिए एक ही ? सम्भव नही,फ़ोन सुन कर तुंरत फलित कर दे ,असंभव ज्योतिष में फलित के लिए ,लग्न ,नवांश ,ग्रह स्पष्ठ ,महा दशा ,अन्तर्दशा ,गोचर की गढ़ना किए बिना फलित करना लोगो को मुर्ख बना है , यह निर्णय दर्शको को करना है , लिखने को बहुत है
किंतु शायद मै भी उन्ही का हिस्सा हूँ

आज पुनः

आज पुनः आप की दी गई शुभ कामनाओ के साथ कुछ लिखने की इच्छा है , मैं तो येः समझ रहा की मेरा ब्लॉग इन्टरनेट का सागर मैं खो जाएगा ,परन्तु आप लोगो ने मुझे फ़िर लिखने के लिए प्ररित किया ,
सर्व प्रथम आप की दी गई शुभ कामनाओ का आभारी हूँ

मुझे तो यह भी नही पता की आप मेरे ब्लॉग तक कैसे पहुचे परन्तु फिर भी कोटिश: धन्यवाद ,

वैस मेरा विषय ज्योतिष है आप को कोई जिज्ञासा हो मुझे लिखे !

Thursday 18 September, 2008

मेरे ब्लॉग का पहला संदेश


इस इन्टरनेट की दुनिया में पहले बार अपना ब्लॉग शुरु कर रहा हूँ वैसे तो मैं एक ज्योतिषी हूँ पर अपनी बात कहने का व आप से विचार बटनें का मध्यम बना रहा हूँ
प्रथम बार समझ में नही आ रहा है की कहाँ से शुरु करू , आज इतना ही फ़िर कभी :)