Thursday 13 November, 2008

मंथन



आज कल जिस तरह ज्योतिष का प्रचार प्रसार बढ़ रहा है उसी प्रकार उसका विरोध बढ़ रहा है यह एक चिंतनीय विषय है, मंथन की आवश्यकता है शायद हम भी दोषी है , आज कल जो चमकता ही वही बिकता है , जो ज्योतिषी बड़ी बड़ी माला पहन कर बड़ी बड़ी गाडियों में बैठ कर ,ऊँचा शुल्क ले कर ज्योतिष की समस्यों का समाधान करते है ,वह स्वयं की समस्यों से ग्रसित रहते है , अच्छा का कोई तो पैमाना होगा यह जातक को स्वम निर्णय करना होगा ,क्या विभिन्न चैनल पर आने वाले ज्योतिषी सही फलादेश करते है , यह निर्णय आप स्वम करे ,मरे विचार से ये सभी भ्रमित कर रहे है सभी का जनम अलग अलग समय ,दिन ,नक्षत्र में हुआ है , तथा फलादेश सभी के लिए एक ही ? सम्भव नही,फ़ोन सुन कर तुंरत फलित कर दे ,असंभव ज्योतिष में फलित के लिए ,लग्न ,नवांश ,ग्रह स्पष्ठ ,महा दशा ,अन्तर्दशा ,गोचर की गढ़ना किए बिना फलित करना लोगो को मुर्ख बना है , यह निर्णय दर्शको को करना है , लिखने को बहुत है
किंतु शायद मै भी उन्ही का हिस्सा हूँ

5 comments:

शोभा said...

अच्छा लिखा है. ब्लॉग जगत मैं आपका स्वागत है. s

Prakash Badal said...

लिखते रहें और नई पोस्ट की सूचना मुझे भी दें
prakashbadal.blogspot.com

betuki@bloger.com said...

पुष्प जी, वास्तविकता ये है कि आज ज्योतिष एक फैशन बन गया है। आपने जिस चिन्ता की बात की है वह भी इन प्रोफेशनल लोगों की वजह से पैदा हुई है। एक पुरानी कहावत है, अज्ञानी से ज्यादा खतरनाक अल्पज्ञानी होता है।

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

ye to faisan ho gya. narayan narayan

रचना गौड़ ’भारती’ said...

आपने बहुत अच्छा लिखा है ।
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लि‌ए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com