आज काफी व्यस्तता के बाद पुनः ब्लाग पर एक आम समस्या से चिंतित हॅ। एक ओर जहाँ ज्योतिष का प्रचार बढ रहा है वहीं दूसरी ओर ज्योतिष की निंदा करनेवालों की संख्या बढ रही है। कारण अधूरा ज्ञान रखनेवाले ज्योतिषी क्योंकि यह क्षेत्र ऐसा है जहाँ अल्प ज्ञान रखने वाला भी अपने को प्रकांड विव्दान समझता है।
भारत में परिवार सुरक्षित है इसका एक बहुत बडा कारण प्राचीन भारतीय मेलापक पद्वति है । पश्चिमी देशो में परिवार का पतन हो गया है । समाज असुरक्षित हो गया है । परिवार और समाज में असुरक्षा की भावना हो गई है। भारतीय परिवार आज भी सुरक्षित है और व्यक्ति समाज से डरता है। ज्योतिष छह वेदांगों में से एक है। वेदों की स्थापना काल से ही यह तय था कि पारिवारिक इकाई जितनी सुदृढ होगी उतना ही समाज शक्तिशली होगा तथा राष्ट्र् मजबूत होगा। परिवार पति पत्नी की बीच मैतक्य की आवष्यकता के लिये प्राचीन ऋषियों ने जन्म नक्षत्र पर आधारित तुलनात्मक विवरण है जिसके पूर्णांक 36 है। ऋषियों ने अनुभव किया कि पुरूष व स्त्री के कुछ नक्षत्र तो एक दूसरे से सहयोग करते है और कुछ बिल्कुल सहयोग नहीं करते है। यहाँ बात आती है अष्ट कूट मिलान की । दक्षिण में 10 गुण माने गये हैं। इनके नाम दिन (भाग्य) गण (संपति ) महेन्द्रम (परस पर प्रेमद्ध ) स्त्रीदीघ्र्र्रम (समान्य शुभत्व) योनि (प्रणय सुखद्ध) राशि पारिवारिक उन्नति, क्षिययाधिपति (धन-धान्यद्ध , वैष्य (संतानद्ध, रज्जु ;व्यावाहरिक दीघ्र्रताद्ध वेध ;पुत्र प्राप्तिद्ध इसके अलावा पुरूष व स्त्री के गोत्र व वर्ण भी दक्षिण में देखा जाता है। उत्तर भारत में अष्ट कूट मिलान में वर्ण से कार्यक्षमता , तारा से भाग्य , वैष्य से प्रधानता , योनि से मानसिकता, ग्रह मैत्री से सामंजस्य, गण प्रधानता ,भकूट से प्रेम, नाडी से स्वास्थ्य देखा जाता है। जहाँ हम विवाह के लिए लडके व लडकी के ढूढने में इतना समय लगाते है। वहीं कुडंली हम एक अयोग्य पंडित से मिलवाकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाते है। हम यह भी पता नहीं करते है कि कुडंली में क्या अनुभव या दक्षता है । यही कारण है कि हमारे कई परिवार सुख व समृध्द नहीं हो पाते है।
मेरा व्यक्तिगत अनुभव व उसके शोध कर पाया कि अष्टकूट मिलान कि अधिकता के उपरांत ही वैवाहिक जीवन से अस्थिरता के और भी कारण है। जिसमें सप्तम भाव व भावेश लग्न व लग्नेश की उपेक्षा भी शमिल है क्योकि नक्षत्र मिलान स्वभाव रूचि एवम् संतान पक्ष का महत्व दिया जाता है।
अभी एक वर्ष पूर्व ही एक सज्जन एक पत्रिका लेकर आए कि हमारे गाॅव के पंडित ने 26॥ गुण मिलान शुभ कहा है। अतः आप इसमें विवाह की शुभ तारिख निर्धारित कर दे तो मैंने उनसे कहा कि मिलान शुभ नहीं है तो उन्होंने कहा साहब 26) गुण है मैने भी तिथि वार कलैंडर पर देखा है । 26॥ गुण है। मैने कहा सप्तम भाव में राहू व मंगल है । लग्न व लग्नेश व चन्द्र भी पीडित है। व कन्या की मारकेश की दषा चल रही है। विवाह शुभ नहीं है। नहीं माने विवाह हो गया कन्या धनाढ्य घराने की थी खूब दहेज भी लाई थी। विवाह के छः माह बाद ही पति पत्नी में विवाद होने लगे पति के नौकरी पर जाने के उपरांत पत्नी ने कुछ खाकर आत्महत्या कर ली। कारण चन्द्र केतु से युक्त था चन्द्र भी पक्षबली नहीं था गुरू का रक्षात्मक आवरण भी नहीं था।
अतः अंत में यही है कि प़त्रिका मिलाने के लिये विंप्रगण कुछ श्रम करें तो विवाहिक जीवन की काफी कुछ अशुभ घटनाओं को टाल सकते हैं।
2 comments:
एक ओर जहाँ ज्योतिष का प्रचार बढ रहा है वहीं दूसरी ओर ज्योतिष की निंदा करनेवालों की संख्या बढ रही है।
--यह एक स्वभाविक प्रक्रिया है, चिन्ता न करें.
बहुत सटीक पुष्प जी। ऐसे सैकड़ों विषय हैं जिन पर बहस की जरूरत है। शीघ्र ही अपने ब्लॉग पर इस प्रकार की पोस्ट दूंगा जिसमें अष्टकूट मिलान और अन्य ग्रहों की भूमिका पर स्पष्ट किया गया हो। आपके ब्लॉग पर आने से एक ओर नया विषय मिला, दूसरी ओर कुछ सीखने को भी।
अनुज की सलाह यह है कि आप कुछ अधिक लेख दें। ताकि हम जल्दी जल्दी अधिक सीख सकें। :)
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