ज्योतिषीय दृष्टकोण से दाम्पत्य जीवन में प्रवेश के लिए वर एवं कन्या की त्रिबल शुद्धि आवश्यक है वर के लिए सूर्य जो पुर्षथा पराक्रम एवं प्रतिष्ठा का करक है ,वही कन्या के लिए गुरु सुख सौभाग्य का करक है , इन दोनों के उपरांत पति एवं पत्नी के मानसिक सामंजस्य के लिए चंद्र (जो मन का करक है ) की शुद्धि होना आवश्यक है
यह तीनो शुद्धि त्रिबल शुद्धि कहलाती है
गर्ग मुनि अनुसार :-
स्त्रीणां गुरूवलं श्रष्ठं पुरूषाणं। रवेर्वलम् ।
त्योशन्द्र वलं श्र॓ष्ठामिति र्गगेणि भाषितम् ।।
अत:ववाहिक संस्कार में त्रिबल शुद्धि होना आवश्यक है तभी शास्त्र एवं संस्कृति के अनरूप ही हम संस्कारवान समाज एवं राष्ट्र दे सकते है।
समाज में समायोजित शास्त्र सम्मत संस्कारो को प्ररित करने एवं उनेह संपन कराने है दायत्व का निर्वहन ब्रह्मण समाज का है किंतु वर्त्तमान में ब्रह्मण समाज की उदासीनता के फलसरूप एवं हर स्तर पर संस्कारहीनता,प्रदूषित हो गया है ,
यह बात तो रही की विप्रगण की ,इस के लिए हम भी कही दोषी है ,
मझे आज तक यह समझ नहीं आया की की हम विवाह के लिए तो इतना व्यय करते है किन्तु जब जन्म पत्रिका मिलाने की बात होती है तो हम उस पंडित के पास जाते है जो हमारे यहाँ कर्मकांड करते है ,यहे ठीक है की ज्योतिष और कर्मकांड एक दूसरे के बिना नहीं चल सकता है , हम यह बिलकुल प्रयास नहीं करते की ज्योतिष मैं पंडित जी की क्या योग्यता है,ववाहिक पत्रिका मिलाई,और दक्ष्ण दी और चल दीये ,
हाल ही मैं कोटा नगर में पंडित जी अपने लाभ के लिए २८-०६-०९ की विवाह तारीख दी,
वर की राशिः धनु ,
कन्या की कन्या राशिः
वर की राशिः से सप्तम सूर्य अशुभ
कन्या की राशिः से गुरु शास्ठं अशुभ
उभयो चन्द्र शुधि
इस तारीख में पंडित जी ने ग्रह्हो की अशुभता का धयान नहीं किया गया लग्न की उपेक्षा की गयी,सूर्य व गुरु दोनों नेष्ठ थे
अंतत : कन्या एवं परिवार को परिवार में सामंजस्य का अभाव रहा
अत: मैं पुनः यह कहना चाहूँगा की हम सभी ज्योतिषी अपने लाभ को त्याग कर लोगो को उचित मार्गदर्शन दे एवं आम जनता पत्रिका मिलन के लिए योग्य ज्योतिषी का पास जाये न की करमकंडी विप्र के पास
यह बात तो रही की विप्रगण की ,इस के लिए हम भी कही दोषी है ,
मझे आज तक यह समझ नहीं आया की की हम विवाह के लिए तो इतना व्यय करते है किन्तु जब जन्म पत्रिका मिलाने की बात होती है तो हम उस पंडित के पास जाते है जो हमारे यहाँ कर्मकांड करते है ,यहे ठीक है की ज्योतिष और कर्मकांड एक दूसरे के बिना नहीं चल सकता है , हम यह बिलकुल प्रयास नहीं करते की ज्योतिष मैं पंडित जी की क्या योग्यता है,ववाहिक पत्रिका मिलाई,और दक्ष्ण दी और चल दीये ,
हाल ही मैं कोटा नगर में पंडित जी अपने लाभ के लिए २८-०६-०९ की विवाह तारीख दी,
वर की राशिः धनु ,
कन्या की कन्या राशिः
वर की राशिः से सप्तम सूर्य अशुभ
कन्या की राशिः से गुरु शास्ठं अशुभ
उभयो चन्द्र शुधि
इस तारीख में पंडित जी ने ग्रह्हो की अशुभता का धयान नहीं किया गया लग्न की उपेक्षा की गयी,सूर्य व गुरु दोनों नेष्ठ थे
अंतत : कन्या एवं परिवार को परिवार में सामंजस्य का अभाव रहा
अत: मैं पुनः यह कहना चाहूँगा की हम सभी ज्योतिषी अपने लाभ को त्याग कर लोगो को उचित मार्गदर्शन दे एवं आम जनता पत्रिका मिलन के लिए योग्य ज्योतिषी का पास जाये न की करमकंडी विप्र के पास
1 comment:
good post.
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